जन्मदिवस 13 अक्टूबर के अवसर पर
मुंबई, 12 अक्टूबर । बॉलीवुड में अशोक कुमार को ऐसे सदाबहार अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है,जिन्होंने अपने बेमिसाल अभिनय से करीब छह दशक तक दर्शको के दिलों पर राज किया।
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री मे दादा मुनि के नाम से मशहूर कुमुद कुमार गांगुली उर्फ अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर शहर में 13 अक्तूबर 1911 को एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के खंडवा शहर से पूरी की। इसके बाद उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिर्वसिटी से पूरी की जहां उनकी दोस्ती शशाधर मुखर्जी से हो गयी जो उन्हीं के साथ पढ़ा करते थे। इसके बाद अपनी दोस्ती को रिश्ते मे बदलते हुए अशोक कुमार ने अपनी इकलौती बहन की शादी शशाधर से कर दी। वर्ष 1934 में न्यू थियेटर मे बतौर लैबेरोटिरी असिटेंट काम कर रहे अशोक कुमार को बॉम्बे टॉकीज में काम कर रहे उनके बहनोई शशाधार मुखर्जी ने अपने पास बुला लिया।
वर्ष 1936 मे बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘जीवन नैया’ के निर्माण के दौरान फिल्म के मुख्य अभिनेता बीमार पड़ गए। इस विकट परिस्थति मे बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय का ध्यान अशोक कुमार पर गया और उन्होंने अशोक कुमार से फिल्म में बतौर अभिनेता काम करने की गुजारिश की। इसके साथ हीं ‘जीवन नैया’ से अशोक कुमार का बतौर अभिनेता फिल्मी सपर शुरू हो गया।वर्ष 1939 में प्रदर्शित फिल्म ‘कंगन’, ‘बंधन’ और ‘झूला’ में अशोक कुमार ने लीला चिटनिश के साथ काम किया। इन फिल्मों में उनके अभिनय को दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया इसके साथ हीं फिल्मों की कामयाबी के बाद अशोक कुमार बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री मे स्थापित हो गए।
वर्ष 1943 हिमांशु राय की मौत के बाद अशोक कुमार बॉम्बे टॉकीज को छोड़ फिल्मीस्तान स्टूडियों चले गए। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सर्वाधिक कामयाब फिल्मों में बॉन्बे टॉकीज की वर्ष 1943 में निर्मित फिल्म ‘किस्मत’ में अशोक कुमार ने एंट्री हीरो की भूमिका निभायी थी। इस फिल्म ने कलकत्ता के चित्रा थियेटर सिनेमा हॉल में लगातार 196 सप्ताह तक चलने का रिकॉर्ड बनाया। वर्ष1947 में देविका रानी के बॉम्बे टॉकीज छोड़ देने के बाद बतौर प्रोडक्शन चीफ बॉम्बे टॉकीज के बैनर तले उन्होंने ‘मशाल’, ‘जिद्वी’ और ‘मजबूर’ जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया।